आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग रात को देर तक जागते हैं और खानपान पर भी कम ध्यान दे पाते हैं। इसका असर सबसे ज्यादा हमारे पाचन और शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। यही वजह है कि छोटी-छोटी समस्याएं जैसे पेट का खराब होना, कमजोरी, मुंह की दुर्गंध और खून की कमी अक्सर देखने को मिलती हैं।
वैसे तो बाजार में कई तरह की दवाइयां और टॉनिक उपलब्ध हैं, लेकिन अगर प्राकृतिक और घरेलू नुस्खे अपनाए जाएं तो बिना साइड इफेक्ट्स के इन परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। भारतीय परंपरा में सुबह बासी मुंह कुछ खास हरी पत्तियां चबाने की आदत बहुत पुरानी रही है। आयुर्वेद में भी इनका जिक्र मिलता है और कई बुजुर्ग आज भी इसे अपनाते हैं।
अगर आप भी दिन की शुरुआत प्राकृतिक और सेहतमंद तरीके से करना चाहते हैं, तो सुबह उठते ही बासी मुंह हरी पत्तियां चबाना फायदेमंद हो सकता है। यह न सिर्फ शरीर को अंदर से साफ करती हैं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से बचाने का भी काम करती हैं।
सुबह बासी मुंह हरी पत्तियां खाने का महत्व
सुबह उठते ही बासी मुंह जब हम हरी पत्तियां चबाते हैं तो उनका रस सीधे लार के साथ मिलकर शरीर में जाता है। इससे पाचन तंत्र सक्रिय होता है और शरीर रातभर जमा हुए टॉक्सिन को बाहर निकालने के लिए तैयार हो जाता है। यह तरीका बिना खर्च के नेचुरल डिटॉक्स का सबसे आसान तरीका माना जाता है।
हरी पत्तियों में मिनरल्स, आयरन, क्लोरोफिल और जरूरी एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह शरीर की हर कोशिका को एक्टिव रखने, नए खून के निर्माण और कमजोरी को दूर करने में सहायक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सुबह का समय पौष्टिक तत्व ग्रहण करने के लिए सबसे अच्छा माना गया है, क्योंकि इस समय शरीर इन्हें जल्दी सोख लेता है।
कौन सी हरी पत्तियां हैं सबसे फायदेमंद
भारत में कई तरह की हरी पत्तियां प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैं जिन्हें सुबह बासी मुंह चबाया जा सकता है। इनमें सबसे ज्यादा उपयोग में ली जाने वाली पत्तियां हैं –
- तुलसी की पत्तियां – रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सर्दी-जुकाम से बचाने में मदद करती हैं।
- पान के पत्ते – मुंह की बदबू और पाचन सुधारने में कारगर।
- नीम की पत्तियां – त्वचा रोग और खून साफ करने के लिए मशहूर।
- धनिया या पुदीना की पत्तियां – पेट को दुरुस्त रखने और शरीर को ठंडक प्रदान करने में मददगार।
इन 4 समस्याओं से मिलेगा आराम
1. पाचन की कमजोरी
सुबह बासी मुंह हरी पत्तियां चबाने से पेट से जुड़ी कमजोरियां कम होती हैं। नीम या पुदीना की पत्तियां पेट को साफ करती हैं और एसिडिटी या गैस जैसी समस्याओं को राहत देती हैं।
2. खून की कमी (एनीमिया)
हरी पत्तियों में क्लोरोफिल और आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यह खून की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है। नियमित सेवन से शरीर में नए खून का निर्माण तेजी से होता है।
3. मुंह की दुर्गंध
सुबह उठते ही बासी मुंह तुलसी या पान का पत्ता खाने से सांसों की दुर्गंध दूर होती है। यह मुंह में बैक्टीरिया की संख्या को कम करके दांतों और मसूड़ों को मजबूत बनाता है।
4. त्वचा की समस्याएं
नीम की पत्तियां खासतौर से चेहरे की पिंपल्स, दाग-धब्बे और अन्य त्वचा रोगों को ठीक करने में मददगार हैं। इसका असर अंदर से शरीर को साफ करके बाहर की त्वचा पर दिखता है।
सरकार और आयुष मंत्रालय की पहल
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय (Ayush Ministry) लंबे समय से आयुर्वेद और प्राकृतिक इलाज को बढ़ावा दे रहा है। मंत्रालय ने लोगों में हर्बल पौधों और घरेलू उपचार के उपयोग के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए हैं।
गांव-गांव में होम हर्बल गार्डन स्कीम जैसी योजनाओं के तहत लोगों को अपने घरों में तुलसी, नीम, अश्वगंधा और अन्य औषधीय पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कई राज्यों में यह पौधे कम दामों या मुफ्त उपलब्ध कराए जाते हैं ताकि आम लोग भी बासे मुंह चबाई जाने वाली हरी पत्तियों का लाभ उठा सकें।
इसके अलावा सरकार की राष्ट्रीय आयुष मिशन (National Ayush Mission) भी जड़ी-बूटी आधारित जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को प्राकृतिक संसाधनों और आयुर्वेदिक आदतों जैसे सुबह हरी पत्तियां सेवन करने की ओर लौटाना है, ताकि दवाइयों पर निर्भरता कम हो और लोग स्वस्थ जीवन जी सकें।
कैसे करें इस्तेमाल
सुबह उठते ही बिना दांत मांजे या कुल्ला किए साफ पानी से 3-4 पत्तियां तोड़कर धीरे-धीरे चबाएं और उनका रस गले तक पहुंचने दें। इसे खाने के बाद लगभग आधे घंटे तक कुछ न खाएं और न पिएं। इससे पत्तियों के पौष्टिक तत्व पूरी तरह शरीर में काम कर पाते हैं।
निष्कर्ष
सुबह बासी मुंह हरी पत्तियां चबाना एक आसान और नेचुरल तरीका है जिससे पाचन, खून, मुंह और त्वचा जैसी चार बड़ी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। यह न सिर्फ स्वास्थ्य सुधारता है बल्कि दवाइयों पर निर्भरता भी कम करता है। सरकार भी आयुष योजनाओं के जरिये इस परंपरा को बढ़ावा दे रही है ताकि लोग आयुर्वेद को अपनाकर स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकें।