सोने की कीमतों में गिरावट की उम्मीद जताई जा रही है। त्योहारी सीजन के बावजूद निवेशकों की मुनाफावसूली और वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण दबाव बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिवाली के बाद सोने के दाम में 8 से 10 फीसदी तक गिरावट आ सकती है। इस बीच, 7 अक्टूबर को सोना फिर महंगा हुआ है।
अगले कुछ दिनों में कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड $3,890 प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहा है। भारत में रुपये की कमजोरी भी आयातित सोने को महंगा बनाए हुए है।
आज का Gold Rate
7 अक्टूबर को सोने के दाम में तेजी देखी गई। देश भर में 24 कैरेट सोने की कीमतें ₹1.22 लाख प्रति 10 ग्राम के पार रहीं। त्योहारी मांग और वैश्विक कीमतों के चलते बाजार में तेजी बनी हुई है।
शहर अनुसार गोल्ड रेट
नीचे दी गई तालिका में 7 अक्टूबर, 2025 को प्रमुख शहरों में 24 और 22 कैरेट सोने के दाम दिए गए हैं। ये दाम खुदरा ज्वैलर्स के अनुसार हैं और मेकिंग चार्ज से अलग हैं।
शहर | 24 कैरेट (10 ग्राम) | 22 कैरेट (10 ग्राम) |
दिल्ली | ₹1,22,070 | ₹1,12,000 |
मुंबई | ₹1,22,020 | ₹1,11,850 |
कोलकाता | ₹1,22,020 | ₹1,11,850 |
चेन्नई | ₹1,22,180 | ₹1,08,900 |
बैंगलोर | ₹1,22,070 | ₹1,11,900 |
हैदराबाद | ₹1,22,020 | ₹1,11,850 |
सोने की कीमत को प्रभावित करने वाले कारक
सोने के दाम केवल डिमांड और सप्लाई पर ही निर्भर नहीं करते। कई अन्य कारक भी इस पर असर डालते हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय बाजार, रुपये का भाव, रिजर्व बैंक की खरीदारी और भू-राजनीतिक तनाव शामिल हैं।
इन्फ्लेशन बढ़ने पर लोग सोने में निवेश करना पसंद करते हैं। यह इन्फ्लेशन के खिलाफ हेज का काम करता है। इसके अलावा, ब्याज दरों में गिरावट भी सोने की मांग बढ़ाती है।
सोने की शुद्धता और प्रकार
24 कैरेट सोना सबसे शुद्ध होता है। इसमें 99.9% तक शुद्ध सोना होता है। यह नर्म और लचीला होता है। इसका इस्तेमाल सोने के सिक्के और बार बनाने में होता है।
22 कैरेट सोना ज्वैलरी के लिए बेहतर होता है। इसमें 91.67% सोना और बाकी चांदी या तांबा होता है। यह ज्यादा मजबूत होता है और आभूषण बनाने में आसानी होती है।
निवेश के विकल्प
सोने में निवेश के कई तरीके हैं। फिजिकल सोना, गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स लोकप्रिय विकल्प हैं। फिजिकल सोने में स्टोरेज का खतरा होता है।
गोल्ड ईटीएफ इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में होते हैं। इन्हें शेयर बाजार के जरिए खरीदा जा सकता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स पर सरकार ब्याज भी देती है। यह लंबी अवधि के निवेश के लिए अच्छा विकल्प है।
खरीदारी से पहले जांचें
सोना खरीदते समय हॉलमार्क जरूर चेक करें। यह ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) द्वारा दिया जाता है। यह सोने की शुद्धता की गारंटी देता है।
मेकिंग चार्ज और जीएसटी अलग से लगता है। इसलिए ज्वैलरी की कीमत बुलियन की तुलना में ज्यादा होती है। बायबैक नीति भी पहले से जान लें।
भविष्य की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि दिवाली के बाद सोने के दाम में गिरावट आ सकती है। निवेशकों की मुनाफावसूली और अमेरिकी डॉलर की मजबूती इसके पीछे कारण हैं।
हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव या आर्थिक अस्थिरता होने पर सोने की मांग फिर बढ़ सकती है। इसलिए निवेशकों को बाजार की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।