PKVY Benefits 2025: जानिए कैसे मिलेगा ₹31,500 और आपकी खेती बनेगी सुपरहिट

भारत में खेती के तरीके बदलते जा रहे हैं। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति और पर्यावरण दोनों पर बुरा असर पड़ा है। इसी से निपटने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना यानी PKVY शुरू की है। यह योजना किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है ताकि वे खेतों में प्राकृतिक और रासायनिक-मुक्त खेती कर सकें। PKVY के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है।

यह योजना राष्ट्रीय मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर का हिस्सा है और इसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा के साथ किसानों की आय बढ़ाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किसानों से कैमिकल खाद और कीटनाशक कम इस्तेमाल करने की आग्रह किया है, जिससे खेती का तरीका सुरक्षित और टिकाऊ बने।

PKVY मुख्य रूप से क्लस्टर आधार पर काम करती है जहां किसान मिलकर जैविक खेती करते हैं, इस तरह लागत कम होती है और प्रमाणन भी आसान होता है।

PKVY Benefits 2025

PKVY योजना के अंतर्गत तीन वर्ष की अवधि में प्रति हेक्टेयर किसानों को ₹31,500 की सहायता दी जाती है। यह राशि किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए भेजी जाती है। इस रकम का उपयोग जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों, वर्मी कंपोस्ट, और अन्य जैविक उत्पाद खरीदने में किया जाता है, जो खेती को रासायनिक-मुक्त बनाते हैं।

यह सहायता तीन हिस्सों में बांटी जाती है। अधिकतर राशि करीब ₹15,000 सीधे किसानों के खातों में मिलती है, जबकि बाकी राशि प्रशिक्षण, जैविक खाद्यान्न प्रमाणन और बाजार से जुड़ाव जैसे खर्चों पर खर्च होती है। योजना के तहत किसानों को जैविक खेती की तकनीकों का प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि वे प्रकृति के अनुकूल खेती को पूर्ण रूप से अपना सकें।

PKVY योजना का खास पहलू यह है कि ये किसानों को समूहों या क्लस्टर्स में बांधती है। हर क्लस्टर लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र में होता है जिसमें 10 से 50 किसान मिलकर खेती करते हैं। इसका फायदा यह होता है कि किसान एक-दूसरे से सीख सकते हैं, सामूहिक संसाधन उपयोग कर लागत कम कर सकते हैं और प्रमाणन भी आसानी से करा सकते हैं।

उद्देश्य और लाभ

PKVY का प्रमुख उद्देश्य किसानों को रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों की तुलना में प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है, पर्यावरण की सुरक्षा होती है और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुधरती है।

इस योजना में किसानों को जैविक प्रमाणीकरण भी प्रदान किया जाता है, जो अपने उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में पहचान और बेहतर कीमत दिलाने में सहायक होता है। इसके अलावा, सरकार जैविक खेती के लिए आवश्यक तकनीकी मदद, प्रशिक्षण और मार्केटिंग सपोर्ट भी उपलब्ध कराती है।

PKVY के जरिए जबरदस्त पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक सहायता सीधे किसानों के खाते में पहुंचाई जाती है, जिससे भ्रष्टाचार और दिक्कत कम होती है। इस योजना ने भारत के कई हिस्सों में लाखों किसानों को लाभ पहुंचाया है और जैविक खेती को एक मजबूत मुकाम दिया है।

आवेदन कैसे करें

PKVY योजना के तहत आवेदन के लिए किसान अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या ग्राम स्तर पर बनाए गए कृषि विकास केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। किसान को यह ध्यान रखना होता है कि उनकी जब्त कीमत सीमा दो हेक्टेयर तक हो।

आमतौर पर किसानों को अपने खेत के दस्तावेज, आधार कार्ड और बैंक खाते की जानकारियां जमा करनी होती हैं। आवेदन फार्म आनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से भरे जा सकते हैं।

फार्म भरने के बाद आवेदन को क्षेत्रीय परिषद के पास भेजा जाता है, जहां से इसे मंजूरी के लिए कृषि मंत्रालय को भेजा जाता है। एक बार मंजूरी मिलने पर राशि सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है।

निष्कर्ष

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) किसानों के लिए जैविक खेती को अपनाने और लाभ कमाने का बेहतरीन माध्यम है। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और खाद्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

खेती में रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कम कर इसे प्राकृतिक तरीके से खेती की ओर ले जाना भविष्य की ओर एक स्थायी कदम है। PKVY के तहत मिलने वाली ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता किसानों को इस दिशा में प्रेरित कर रही है जिससे वे बेहतर, स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक खाद्यान्न उगा सकें।

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