अब सोलर पैनल लगाने के लिए छत की जरूरत नहीं होगी। नई तकनीक के तहत दीवारों, खिड़कियों और फेसेड पर भी सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं। यह तकनीक बिल्डिंग इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स (BIPV) कहलाती है। इसमें सोलर पैनल सीधे इमारत के डिजाइन का हिस्सा बन जाते हैं। यह न सिर्फ बिजली बनाते हैं, बल्कि इमारत की खूबसूरती भी बढ़ाते हैं। शहरों में जहां छत की जगह कम है, यह तकनीक बहुत फायदेमंद है। भारत सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है।
BIPV तकनीक भारत के लिए बहुत अहम है। आने वाले समय में शहरी आबादी बढ़ेगी और बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ेगी। पारंपरिक छत पर लगने वाले सोलर सिस्टम से इस मांग को पूरा करना मुश्किल होगा। इसलिए दीवारों और फेसेड पर सोलर पैनल लगाना एक बेहतर विकल्प है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में BIPV की क्षमता 309 गीगावाट तक हो सकती है। यह आंकड़ा बहुत बड़ा है।
नई तकनीक के फायदे
BIPV तकनीक के कई फायदे हैं। यह न सिर्फ बिजली बनाती है, बल्कि इमारत के लिए और भी फायदेमंद है। यह इमारत को गर्मी और ध्वनि से भी बचाती है। इससे एसी और लाइटिंग पर खर्च कम होता है। इस तकनीक को आर्किटेक्चरल डिजाइन में आसानी से शामिल किया जा सकता है। इसे अलग से लगाने की जरूरत नहीं होती। यह नई इमारतों के साथ-साथ पुरानी इमारतों में भी लगाया जा सकता है।
- BIPV सिस्टम इमारत के बाहरी हिस्से की जगह लेते हैं।
- यह इमारत को गर्मी और ध्वनि से बचाते हैं।
- इससे एसी और लाइटिंग पर खर्च कम होता है।
- इसे आर्किटेक्चरल डिजाइन में आसानी से शामिल किया जा सकता है।
- यह नई और पुरानी दोनों तरह की इमारतों में लगाया जा सकता है।
- इससे शहरों में बिजली की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
- यह भारत के 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा के लक्ष्य में मदद करेगा।
योजना का ओवरव्यू
विवरण | जानकारी |
योजना का नाम | बिल्डिंग इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स (BIPV) |
लाभार्थी | घरेलू, वाणिज्यिक और सार्वजनिक इमारतें |
उद्देश्य | इमारतों के बाहरी हिस्सों को बिजली उत्पादन के लिए उपयोग करना |
तकनीक | सोलर सेल्स को खिड़कियों, दीवारों और छतों में एकीकृत करना |
सरकारी सहायता | PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में शामिल |
क्षमता | भारत में 309 गीगावाट तक |
लाभ | बिजली बचत, गर्मी और ध्वनि से सुरक्षा, आर्किटेक्चरल सौंदर्य |
कार्यान्वयन | निजी कंपनियां, आर्किटेक्ट्स और सरकारी एजेंसियां |
सरकारी योजना और सहायता
भारत सरकार ने PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत BIPV तकनीक को भी शामिल किया है। इस योजना के तहत घरेलू उपभोक्ताओं को छत पर सोलर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी दी जाती है। अब इसमें BIPV तकनीक के लिए भी सहायता शामिल है। इस योजना का उद्देश्य घरेलू बिजली बिल में कमी लाना और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना है। यह योजना 2026-27 तक चलेगी।
सरकार ने BIPV को बढ़ावा देने के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें कर छूट, फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) बोनस और सार्वजनिक-निजी भागीदारी शामिल हैं। सरकार चाहती है कि BIPV को ग्रीन बिल्डिंग कोड में अनिवार्य बनाया जाए। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट्स भी शुरू किए जा रहे हैं। इन प्रोजेक्ट्स के जरिए तकनीक की विश्वसनीयता और लाभ को दिखाया जाएगा।
चुनौतियां और भविष्य
BIPV तकनीक के कई फायदे हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं। इसकी प्रारंभिक लागत पारंपरिक सोलर सिस्टम से अधिक है। इसके अलावा, आर्किटेक्ट्स और डेवलपर्स के बीच इसके बारे में जागरूकता की कमी है। धूल जमने और छाया पड़ने की समस्या भी हो सकती है। इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार और उद्योग दोनों को मिलकर काम करना होगा।
भविष्य में BIPV तकनीक का बहुत बड़ा दायरा है। यह न केवल बिजली बनाएगी, बल्कि शहरों को ऊर्जा स्वतंत्र भी बनाएगी। इससे नौकरियों के नए अवसर भी पैदा होंगे। भारत में इस तकनीक के लिए बहुत बड़ी क्षमता है। अगर सरकार और उद्योग इस पर ध्यान दें, तो भारत इस क्षेत्र में वैश्विक नेता बन सकता है।